सकारात्मक विचारांची सकाळ झाली आहे
नवा दिवस घेऊन दारात ती आली आहे !
रोज काहीतरी लिहीत जा असे माझे बाबा नेहमी सांगत. 1986 साली वाचकांची पत्रे सदरात पुणे तरूणभारत मध्ये पहिलं पत्र प्रसिद्ध झालं.1998 साली लोकमत ओगलेवाडी वार्ताहर म्हणून लेखनासाठी मार्ग खुला झाला. 2001मध्ये पुढारीत वार्ताहर म्हणून रूजू झालो.आजपर्यंत थोडंफार लिहीलं,अजून खुप लिहायचं आहे. करवडी,कराडची शाळा,काॅलेज पुढे ओगलेवाडी बनवडी भागात क्लासेसच्या निमित्ताने तसेच मिडियामध्ये सुंदर लोकांची साथ,सोबत लाभली.करवडी-कराड व्हाया ओगलेवाडी प्रवासात आलेले अनुभव लेखन हौस पुर्ण करण्यासाठी हा ब्लॉग प्रपंच!
ओं,
बदली में छिपे हुए चांद
आप बहोत खुबसुरत हो
लेकिन
मेरे पास मेरा चांद है,
जो आपसे भी खूबसूरत है !
आप कभी कभी
बदली में छुप जाते हो !
वद्य पक्ष में तो
गायब ही हो जाते हो !
लेकिन,
मेरा चांद हमेशा
मुझे साथ देता है !
हर हाल मे ऊर्जा देता है !
मेरा हसीन चांद
मेरा हाथ थाम कर
मेरे साथ रहता है !
मुझे जीने की
राह दिखाता है !
हरघडी मेरा चांद
मेरे धडकन मे रहता है !
ओं,
बदली वाले चांद,
फिर एक बार
कहता हुं
मेरा चांद आपसे भी
बहुत खूबसूरत है !
ओं,
बदली वाले चांद
जलो मत, रुठो मत !
मेरा चांद आपसे भी
बहुत खूबसूरत है ! 😌
*सती*
कोजागिरी पौर्णिमा
३०.१०.२०२०
आज आप कुछ अलग थी
आज आप कुछ अलग थी,
लेकिन मेरे सबसे करीब थी !
आजका दिन आप अलग थी,
लेकिन मेरे बहोत करीब थी !
थोडी शर्माई थी,
थोडी घबराई हुई थी!
हमारेही बारेंमें सोच रही थी,
बैचेनीमे तनहाईमै,
बार बार आॅखे छुपा रही थी!
आजका दिन आप अलग थी,
लेकिन मेरे बहोत करीब थी !
सोच कुछ रही थी,
कर कुछ रही थी!
सुनने के लिये मुझे,
बेकरार भी बहोत थी !
लेकिन मुझे टालनेकी भी,
कोशिश कर रही थी !
आजका दिन आप अलग थी,
लेकिन मेरे बहोत करीब थी !
देख कुछ रही थी,
सोच कुछ रही थी !
नाते को हमारे,
बार बार याद कर रही थी !
यादोमें मेरी बेकरार थी,
बस मेरा ही नाम ले रही थी !
आजका दिन आप अलग थी,
लेकिन मेरे बहोत करीब थी !
आपका अलगपन,
आपका अपनापन,
आपके लिये बेकरारी,
यही है जिंदगी हमारी !
आप भी जानते है,
दुनिया हो आप हमारी !
लेकिन......
आजका दिन आप अलग थी,
लेकिन मेरे बहोत करीब थी !
सती
Positive vibes
आपके आनेका
हमे इंतजार रहता है,
आपकी राहो पर
हमारी नजर रहती है,
नजर मिलनेके बाद आपसे,
मेरी नजरें थम सी जाती है!
आपकी आॅखो का नुर
हमे जीनेकी राह दिखा देता है !
प्यारपें हमे अपने
इतना गुरूर है हमे,
आपको देखे बिना,
चैन कहा होता था !
तु सखी,
तुच साथी!
तु दिपस्तंभ,
तु स्नेहबंध,
तु प्राणप्रिय
तु वंदनीय!
तु सतीदुलारी,
तु उर्जालहरी,
तु अपनी,
तु सजनी !
तु सौख्यकारी,
तु दुःखहारी,
तु स्नेहलोका,
तु प्रेमलोका !
तु माझी
मी तुझा
बंध हे जाणून
घे सजना. !
शब्द नव्हेत हे,
या तर ह्दय भावना
समजून घे
सखी सजना !
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सुबह
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